जलोढ़ मिट्टी (दोमट मिट्टी)
क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत में सबसे अधिक क्षेत्रफल पर जलोढ़ मिट्टी पाये जाते है। भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 40 प्रतिशत भाग पर जलोढ़ मिट्टी मिलते है। जलोढ़ मिट्टी का निर्माण नदियों के निक्षेपण से होता है। जलोढ़ मिट्टी में नाइट्रोजन एवं फॉस्फोरस की मात्रा कम होती है। यह कारण है कि जलोढ़ मिट्टी में यूरिया खाद डालना फसल के उत्पादन के लिए आवश्यक होता है। जलोढ़ मिट्टी में पोटाश एवं चूना की पर्याप्त मात्रा होती है। भारत में उत्तर का मैदान (गंगा का मैदान) सिंध का मैदान, ब्रह्मपुत्र का मैदान गोदावरी का मैदान, कावेरी का मैदान नदियों जलोढ़ मिट्टी के निक्षेपण से बने है। जलोढ़ की मिट्टी गेहूँ के फसल के लिए उत्तम माना जाता है। इसके अलावा इसमें धान एवं आलू की खेती भी की जाती है। जलोढ़ मिट्टी का निर्माण बलुई मिट्टी एवं चिकनी मिट्टी के मिलने से हुई है। जलोढ़ मिट्टी में ही बांगर एवं खादर मिट्टी आते है। बांगर पुराने जलोढ़ मिट्टी को एवं खादर नये जलोढ़ मिट्टी को कहा जाता है। जलोढ़ मिट्टी का रंग हल्के धूसर रंग का होता है।

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